Living Water

आइए सबसे पहले जानते है की Living Water kya hai (लिविंग वाटर क्या है)
जीवन को सही से जीना चाहते है। तो आपको लिविंग वाटर (Living Water)को जीवन भर सेवन करना चाहिए।
जैसा कि हम जानते हैं पानी के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है । इंसान, जानवर तथा पेड़ पौधों हर किसी को पानी की जरूरत होती है। और इसके बिना हर कोई मुरझा जाता है। जीवन जीने के लिए किस तरह तरह का पानी हमें पीना चाहिए। ज्यादातर लोगों को यह बात पता नहीं था।

पहले लोग नदी ,तालाब और झरनों से निकलने वाले पानी का उपयोग कर सेहतमंद रहा करते थे। लेकिन आजकल हमने नदी तालाब को तो गंदा कर दिया है ।इतना ही नहीं हमने भूमिगत जल ( ground water) ग्राउंड वाटर को भी दूषित कर दिया है। इसीलिए हर घर में RO (reverse osmosis) का पानी पिया जाता है। आधुनिकता के चक्कर में आज हमने प्राकृतिक तरीकों का उपयोग ही छोड़ दिया है ।साफ पानी के चक्कर में हर घर में RO system सिस्टम को लगा दिया गया है जिसका पानी एसिडिक (Acidic water )होता है और हमारा पानी एल्कलाइन वाटर (Alkaline water )होना चाहिए।

Three Water Pot System for Living Water

पहले यह 3 वाटर पॉट सिस्टम बना था ।इसमें मिट्टी के तीन घड़े लिए जाते हैं उसमें दो घड़ों में छोटा छोटा छेद कर दिया जाता है। और तीनों घड़े को एक के ऊपर एक रख दिया जाता है ।सबसे नीचे वाले घड़े में छेद नहीं होता है। और उसके ऊपर वाले घड़े में छेद होता है। और उसे एक के ऊपर एक रख दिया जाता है ।
अब बात करते हैं पहले घड़े का , जो सबसे ऊपर होता है उसमें नदी से निकाले गए छोटे बड़े पत्थर डाला जाता है। उसके ऊपर लकड़ी के जलने से बना कोयला को डाला जाता है।


फिर चलते हैं दूसरे घड़े उसमें भी आधा घड़ा छोटे बड़े पत्थरों को डाला जाता है उसके बाद सबसे नीचे वाले घड़े में मोरिंगा सीड्स (moringa seed) सहजन का बारीक पाउडर डाला जाता है एक चांदी का गिलास या कोई भी चांदी का एक प्लेट डाला जाता है तथा एक तांबे का ग्लास या प्लेट डाला जाता है ।अब हम सबसे ऊपर वाले घड़े में पानी को डालते हैं धीरे-धीरे पानी पहले वाले घड़े से दूसरे वाले घड़े में टपकता है ।

फिर दूसरे घड़े से तीसरे घड़े में टपकता है। इस तरीके से यह पानी एक खास तरीके से ऊपर से नीचे लगातार चलता रहता है ।जिसकी वजह से यह नॉर्मल वाटर स्ट्रक्चर्ड वाटर( structured water)में बदल जाता है जिसे स्प्रिंगवॉटर (spring water) भी कहते हैं ।स्प्रिंग वॉटर झरने का पानी को कहते हैं ।

और हम जानते हैं कि अगर आप बहुत बीमार हैं तो पहले कहा जाता था कि आप अपने गांव या पहाड़ों पर चले जाओ क्योंकि हम वहां का पानी और हवा के टच में आते हैं हम ठीक हो जाते थे इसका कारण वहां का स्ट्रक्चर्ड वॉटर स्प्रिंग वॉटर होता था आज हमने पानी के सारे स्रोत को गंदा कर दिया है और साफ पानी के लिए हर घर में आरो लग गया है जो हमारी शारीरिक बीमारियों तथा दुर्बलता का कारण है

Two Water Pot System for Living Water

3 पोर्ट सिस्टम लोगों को थोड़ा मुश्किल लगा तो लगातार उस पर काम किया गया ।और उसे और आसान कर दिया गया ।लोगों की समस्या को दूर करने के लिए डॉ विश्वरूप राय चौधरी (Dr biswaroop Roy Chowdhury) एवं डॉ नमिता गुप्ता ( Dr Namita Gupta) की सारी टीम इसको आसान बनाने में लग गई । लिविंग वॉटर सिस्टम को काफी रिसर्च के बाद इसे Two Water Pot System में बदल दिया गया ।


इसके पीछे भी एक गलती से हुआ हुआ एक घटना है ।एक व्यक्ति के पास एक एक्वेरियम था। वह एक्वेरियम को साफ करने के क्रम में दो-चार बूंद पानी उनके मुंह में चला गया। जो बहुत मीठा था। वह हैरान थे की ,इतना सारा डिपॉजिटेड वाटर था बहुत दिनों से गंदा पानी था। साथ में मछलियों का वेस्ट था ।उनका खाना सड़ा हुआ था। फिर भी वह पानी इतना मीठा कैसे ।उसे तो खारा होना चाहिए था । तभी उन्होंने उसके पीछे विज्ञान को समझा और फिर डॉ नमिता से संपर्क किया और फिर उन्होंने मिलकर लिविंग वाटर का Two Water Pot System for Living Water को बनाया ।

इस सिस्टम के अंदर दो घड़ा लिया जाता है। ऊपर वाले घड़े में एक छेद कर दिया जाता है ।जिसमें से एक पाइप को नीचे वाले गले में डाल के रख दिया जाता है ।फिर नीचे वाले घड़े में एक मोटर को रखा जाता है। और उस मोटर से उस पाइप को जो पहले घड़े से कनेक्टेड है ।उसे मोटर में जोड़ दिया जाता है।
अब पहले घड़े में आधा घड़ा पत्थर छोटे बड़े डाल दिए जाते हैं यह पत्थर भी नर्मदा नदी के होते हैं हमारी प्राचीन वैदिक मान्यताओं के अनुसार नर्मदा नदी के पत्थर साक्षात भगवान शंकर का रूप है। अतः यह पत्थर हमारे लिए भगवान से कम नहीं है। इन्हीं पत्थरों को ऊपर वाले घरों में ऊपर वाले घड़े में आधा तक भर दिया जाता है ।

उसके ऊपर एक पानी भर दिया जाता है ।ऊपर वाले घड़े में पहले छोटे पत्थर डाला जाता है। फिर बड़े पत्थर को डाला जाता है ।आधा पत्थरों से भर दिया जाता है और नीचे वाले में एक तांबे का ग्लास और एक चांदी का गिलास डाल दिया जाता है। पहले वाले ऊपर वाले घड़े में पूरा पानी भर दिया जाता है धीरे-धीरे वह पानी गिरने लगता है। नीचे वाले घड़े में और वहां पहले से मोटर है ।वह मोटर चलना की वजह से नीचे का पानी फिर से ऊपर चला जाता है और ऊपर का पानी नीचे गिरता रहता है और यह चक्र लगातार चलता रहता है। जिसकी वजह से यह पानी स्ट्रक्चर्ड वाटर में बदल जाता है और यह एक वाटर का माला बना लेता है जिसे आप वीडियो में देख सकते हैं पूरी जानकारी वहां दी गई है ।

पहले जो पानी हम पीते थे वह बीच में से टूटा हुआ होता था ।उनका स्ट्रक्चर टूटा हुआ था। लेकिन Two Water Pot System का लिविंग वाटर( Living Water) या Three Water Pot System का लिविंग वाटर सिस्टम का पानी टूटा हुआ नहीं होता था।

Living Water By Dr biswaroop Roy Chowdhury

आज यह सब जानते हैं RO पानी में से सारे घुले और हमारे फायदेमंद मिनरल्स को भी निकाल देता है। जिसकी वजह से हमारे शरीर में आवश्यक मिनरल्स की कमी हो जाती है। और हमारा शरीर विपरीत काम करने लगता है ।पानी का सबसे बड़ा रोल खाना पचाने में आता है । RO का पानी ( acidic water of RO) एसिडिक होता है।

वह खाना पचाने में कोई मदद नहीं करता। पहले हम कम से कम 3 से 4 बार दिन भर में खाना खाते थे और वह पच भी जाता था ।लेकिन आज अगर आप खाना खाते हो और RO का पानी पीने से आपका खाया हुआ खाना सही से पचता नहीं है । हमेशा लगा रहता है कि खाया हुआ खाना पेट में अभी तक रखा हुआ है ।

जिसकी वजह से भूख नहीं लगती है। और बस खाने के बाद दूसरा खाना फिर तीसरा खाना लगातार बस खाते रहते हैं।
जिससे वह खाना शरीर में ना पचने की वजह से इकट्ठा होते रहता है और हमारा मोटापा बढ़ता रहता है ।और यह बात किसी से छुपी हुई नहीं है कि मोटापा सारी बीमारियों की जड़ है। और यही बात हमारे पेट पर भी लागू होता है यदि हमारा पेट सही नहीं है तो हम बहुत सारी बीमारियों के चपेट में आ सकते हैं।

दूषित पानी और मिनरल रहित पानी की वजह से बहुत सारी शारीरिक समस्याएं उत्पन्न हो रही है ।इसी की वजह से हमारे समाज के कुछ कर्ता-धर्ता लगातार चिंतित रह रहे थे। इसी बीच उनकी अथक प्रयास की वजह से उन्होंने एक साफ पानी तथा मिनरल युक्त पानी का तरीका ढूंढ निकाला जिसका नाम है। लिविंग वॉटर (Living Water) सिस्टम इसे मैजिकल वाटर (magical water) भी कहा जाता है ।जिसका अविष्कार डॉक्टर विश्वरूप रॉय चौधरी (Dr biswaroop Roy Chowdhury)ने किया उनके इस आविष्कार में उनके डॉक्टर नमिता गुप्ता( Dr Namita Gupta)भी साथ है ।

यह आविष्कार किसी और बीमारी को ठीक करने के क्रम में हो गया। दरअसल विश्वरूप राय चौधरी थैलेसीमिया ( thalassemia ) के बच्चों को ठीक करने के लिए लगातार कोशिश में लगे हुए थे। लेकिन उन बच्चे के अंदर खून की कमी लगातार रह रही थी। तभी उनकी मुलाकात डॉ नमिता गुप्ता से होती है ।और उन्होंने लिविंग वॉटर (Living Water )के बारे में डॉ विश्वरूप राय चौधरी से बात होती है। फिर उसे आजमाया जाता है और वह बच्चे का खून में हिमोग्लोबिन बढ़ना शुरू हो जाता है। और उनका हर महीने ब्लड ट्रांसफ्यूजन या ब्लड का चढ़ाना (blood transfusion) बंद हो जाता है धीरे-धीरे। यही कारण बना लिविंग वॉटर (Living Water) सिस्टम बनाने का।

Living Water By Dr Namita Gupta

HiimZil Living Water Machine

 

 

 

 

 

 

6 thoughts on “Living Water”

  1. Hello BRC Sir & Ma’am,
    I, Nitin Pareek a stroke survivor since Oct 2019. I am on the DIP diet for the last 6 months. Sometimes on zero volt therapy also. Last week I started hot water Emerson therapy but after therapy, my left side affected limbs by paralysis gets more stiffness.
    Is it helpful in paralysis? I don’t have enough money now to get connect personally with your team and take treatment at the hospital.
    Yes, I am watching most of the videos of Globy News & National Health. Also, subscribed Dr. Namita Gupta but it has less video yet. I am interested in connecting with your team as a human being and spreading your messages to people. I want to connect with you and want to be part and parcel of your team’s representative and a messenger of yours.

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