Vaccinated to Death: Dr. Biswaroop Roy Chowdhury Exposes the Truth

वैक्सीन से मौत: डॉ. बिस्वरूप रॉय चौधरी ने सच्चाई उजागर की

डॉ. बिस्वरूप रॉय चौधरी की नई पुस्तक Vaccinated to Death 5 अप्रैल 2025 को शाम 6:00 बजे लॉन्च होने जा रही है।

परिचय

कोविड-19 टीकाकरण को लेकर बहस कई वर्षों से चल रही है। जहां एक ओर बहुत से लोग इसकी प्रभावशीलता का समर्थन करते हैं, वहीं कुछ लोग इसके संभावित दुष्प्रभावों और दीर्घकालिक जोखिमों को लेकर चिंतित हैं। इन्हीं में से एक प्रमुख आवाज हैं डॉ. बिस्वरूप रॉय चौधरी, जो एक मेडिकल शोधकर्ता और स्वास्थ्य विशेषज्ञ हैं। उनका मानना है कि टीके लाभ पहुंचाने के बजाय नुकसान पहुंचा सकते हैं। इस लेख में हम उनके विचारों, उनके दावों के वैज्ञानिक आधार, और सार्वजनिक स्वास्थ्य पर इसके प्रभाव की जांच करेंगे।


डॉ. बिस्वरूप रॉय चौधरी कौन हैं?

डॉ. बिस्वरूप रॉय चौधरी एक स्वास्थ्य कार्यकर्ता, मेडिकल शोधकर्ता और पोषण विशेषज्ञ हैं, जो आधुनिक चिकित्सा के प्रति अपने वैकल्पिक दृष्टिकोण के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने कई किताबें लिखी हैं और अक्सर मधुमेह उपचार, प्राकृतिक प्रतिरक्षा और टीका संदेह जैसे विषयों पर व्याख्यान देते हैं।

उनके प्रमुख विश्वास:

  • प्राकृतिक प्रतिरक्षा को टीकों से अधिक प्रभावी मानते हैं
  • कोविड-19 टीकों की दीर्घकालिक सुरक्षा और प्रभावशीलता पर सवाल उठाते हैं
  • पौध-आधारित आहार और जीवनशैली को औषधीय हस्तक्षेप के विकल्प के रूप में बढ़ावा देते हैं

कोविड-19 टीकाकरण (Vaccinated to Death)के संभावित खतरे

डॉ. चौधरी सामूहिक टीकाकरण कार्यक्रमों के संभावित खतरों के बारे में मुखर रहे हैं। उनका मानना है कि टीकों से गंभीर स्वास्थ्य जटिलताएँ और यहाँ तक कि मौतें हो सकती हैं।

1. टीकों के दुष्प्रभाव और प्रतिकूल प्रतिक्रियाएँ

डॉ. चौधरी के अनुसार, टीकों को विभिन्न स्वास्थ्य जोखिमों से जोड़ा गया है, जिनमें शामिल हैं:

  • हृदय संबंधी समस्याएँ (मायोकार्डाइटिस, पेरीकार्डाइटिस)
  • तंत्रिका तंत्र विकार (ब्रेन फॉग, दौरे)
  • ऑटोइम्यून रोग
  • रक्त का थक्का जमने की समस्या

2. प्राकृतिक प्रतिरक्षा का दमन

  • उनका तर्क है कि टीके शरीर की प्राकृतिक रोग प्रतिरोधक क्षमता में हस्तक्षेप करते हैं, जिससे लोग बूस्टर डोज पर निर्भर हो जाते हैं
  • वे मानते हैं कि वायरस के प्राकृतिक संपर्क में आने से प्रतिरक्षा तंत्र टीकों से प्राप्त कृत्रिम प्रतिरक्षा की तुलना में बेहतर अनुकूलित होता है।

3. टीका परीक्षणों में पारदर्शिता की कमी

डॉ. चौधरी फार्मास्युटिकल कंपनियों की आलोचना करते हैं क्योंकि वे:

  • टीकों के दीर्घकालिक अध्ययन किए बिना परीक्षणों को जल्दबाजी में पूरा करते हैं
  • Vaccinated to Death के प्रतिकूल प्रभावों से जुड़ा डेटा छुपाते हैं
  • पोस्ट-वैक्सीनेशन जटिलताओं की बढ़ती घटनाओं के बावजूद टीकों को बढ़ावा देते हैं

डॉ. चौधरी द्वारा सुझाए गए वैकल्पिक स्वास्थ्य उपाय

 

Vaccinated to Death Dr. Biswaroop Roy Chowdhury Exposes the Truth

टीकों पर निर्भर रहने के बजाय, डॉ. चौधरी प्रतिरक्षा को बढ़ाने और बीमारियों को रोकने के लिए प्राकृतिक तरीकों की वकालत करते हैं।

1. पोषण चिकित्सा

  • विटामिन और खनिजों से भरपूर पौध-आधारित आहार अपनाएँ
  • प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों और सिंथेटिक दवाओं से बचें
  • कच्चे फल, सब्जियों और हर्बल उपचारों का सेवन बढ़ाएँ

2. जीवनशैली में बदलाव

  • नियमित व्यायाम और योग से शारीरिक स्वास्थ्य बनाए रखें
  • विटामिन डी उत्पादन के लिए प्राकृतिक धूप में समय बिताएँ
  • शरीर को हाइड्रेटेड और विषमुक्त रखने पर ध्यान दें

3. मन-शरीर का संबंध

  • ध्यान और माइंडफुलनेस के माध्यम से तनाव प्रबंधन करें
  • बीमारियों के डर से बचें और सकारात्मक सोच अपनाएँ
  • शरीर की स्वतः उपचार करने की क्षमता पर विश्वास करें

विवाद और आलोचना

डॉ. चौधरी के विचारों का चिकित्सा समुदाय और सरकारी एजेंसियों द्वारा तीव्र विरोध किया गया है। आलोचकों का कहना है कि:

  • उनके दावे वैज्ञानिक प्रमाणों से समर्थित नहीं हैं और मुख्यधारा की चिकित्सा अनुसंधान से मेल नहीं खाते।
  • टीकों की सुरक्षा व्यापक परीक्षणों और वास्तविक डेटा से सिद्ध होती है

हालांकि, उनके समर्थकों का मानना है कि वे एक वैकल्पिक दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हैं, जो बड़ी दवा कंपनियों और कॉर्पोरेट-चालित स्वास्थ्य प्रणालियों को चुनौती देता है।


क्या आपको Vaccinated to Death को लेकर चिंता होनी चाहिए?

टीका लगवाने का निर्णय व्यक्तिगत होता है और इसे निम्नलिखित के आधार पर किया जाना चाहिए:

  • वैज्ञानिक अनुसंधान और चिकित्सा परामर्श
  • लाभ और जोखिमों की समझ
  • वैकल्पिक स्वास्थ्य दृष्टिकोणों पर विचार करते हुए सही जानकारी प्राप्त करना

निष्कर्ष

डॉ. बिस्वरूप रॉय चौधरी के टीकों ( Vaccinated to Death) के प्रतिकूल प्रभावों और प्राकृतिक प्रतिरक्षा को लेकर विचारों ने तीव्र बहस छेड़ दी है। मुख्यधारा की चिकित्सा टीकाकरण को जीवन रक्षक उपाय मानती है, जबकि उनके अनुयायियों का मानना है कि प्राकृतिक उपचार ही दीर्घायु का असली रहस्य है। सबसे अच्छा तरीका यह है कि हम सूचित रहें, हर चीज पर प्रश्न करें और अपने व्यक्तिगत शोध और विश्वासों के अनुसार स्वास्थ्य संबंधी निर्णय लें।

डॉ. चौधरी के दावों के बारे में आप क्या सोचते हैं? अपने विचार नीचे साझा करें!

 

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